प्राचीन भारतीय और पुरातत्व इतिहास >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 प्राचीन भारतीय इतिहास बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 प्राचीन भारतीय इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 प्राचीन भारतीय इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 8
तथा उत्तरी काले चमकदार मृद्भाण्ड
[Ochre Coloured Pottery (OCP), Painted Grey Ware (PGW)
and Northern Black Polished Ware (NBPW) ]
प्रश्न- प्राचीन मृद्भाण्ड परम्परा से आप क्या समझते हैं? गैरिक मृद्भाण्ड (OCP) संस्कृति का विस्तृत विवेचन कीजिए।
अथवा
मृद्भाण्ड परम्परा के विषय में बताते हुए गैरिक मृद्भाण्ड संस्कृति की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. मृद्भाण्ड से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
2. गैरिक मृद्भाण्ड (OCP) के विषय में बताइए।
3. गैरिक मृद्भाण्ड संस्कृति की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
प्राचीन भारतीय मृद्भाण्ड परम्परा
मृदा से निर्मित बर्तन को मृदभांड कहा जाता है। ये पुरातात्विक स्रोतों की जानकारी के प्रमुख स्रोत हैं। ताम्र काल में निर्मित पीले गेरू रंग के मृदभांड (OCP), हड़प्पा काल के काले व लाल मृदभांड (BRW), उत्तर वैदिक काल के चित्रित धूसर मृदभांड (PGW) तथा उत्तरी काले चमकदार मृदभांड (NBPW) से मौर्यकाल की पहचान की जाती है। मृदभांड देश के विभिन्न स्थलों से प्राप्त हुए हैं, जो भारत की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति को जानने व समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
पुरातत्व में मिट्टी के बर्तनों के विश्लेषण को लागू करके पुरातत्व संस्कृति का अध्ययन किया जाता है, क्योंकि मिट्टी के बर्तन टिकाऊ होते हैं और पुरातात्विक स्थलों पर लंबे समय तक बचे रहते हैं जबकि अन्य वस्तुएं सड़ जाती हैं या नष्ट हो जाती हैं।
प्राचीन कालीन मृद्भाण्डों की सूची
हड़प्पा युग |
काला और लाल बर्तन |
प्रारंभिक वैदिक काल |
गेरू रंग के बर्तन (OCP) |
उत्तर वैदिक काल |
चित्रित ग्रे वेयर (PGW) |
पूर्व-मौर्य युग |
नॉर्दन ब्लैक पॉलिश्ड वेयर (NBPW) |
मौर्य युग |
नॉर्दन ब्लैक पॉलिश्ड वेयर (NBPW) |
परवती मौर्य काल |
लाल मृदभांड |
गुप्त काल |
लाल मृदभांड |
(Ochre Coloured Pottery : OCP)
सन् 1950 ई. में, उत्तर प्रदेश के बिसौली ( बदायूं जिला) तथा राजापुर परसु (बिजनौर जिला ) में खुदाई के दौरान नए प्रकार के मृद्भाण्डों की खोज हुई जिन्हें बाद में गैरिक मृद्भाण्ड संस्कृति (OCP Culture) नाम दिया गया। ये दोनों स्थल ताम्र भण्डार संस्कृति के भी स्थल रहे हैं। अधपकी मध्यम दानेदार मिट्टी से बने ये मृद्भाण्ड नारंगी से लाल रंग लिये हुए हैं।
गैरिक मृद्भाण्ड स्थल सामान्यतः नदी के तटों पर स्थित हैं। इन स्थलों के छोटे आकार तथा टीलों की कम ऊँचाई से प्रतीत होता है कि इन बस्तियों की समयावधि कम होगी। कुछ ओसीपी स्थलों, जैसे अंबखेड़ी, बहेरिया, बहादराबाद, झिंज़ाना, लाल किला, अतरंजीखेड़ा, सपाई आदि के उत्खनन में नियमित बस्ती के कोई चिन्ह नहीं मिले। हस्तिनापुर तथा अहिछत्र में ओसीपी संस्कृति तथा उसकी उत्तरवर्ती चित्रित धूसर मृद्भाण्ड संस्कृति के बीच की कालावधि में बस्तियों में एक विराम आ जाता है। अतरंजिखेड़ा में ओसीपी संस्कृति काल के पश्चात् काले व लाल मृद्भाण्ड (BRW) आते हैं। मृद्भाण्डों के काल निर्धारण हेतु धर्मोल्यूमिनिसेन्स के आधार पर, ओसीपी संस्कृति को 2000 ई. पू. से 1500 ई. पू. के बीच रखा गया है। ओसीपी स्थलों से ताम्र भण्डारों के पाए जाने से उन्हें ओसीपी संस्कृति से जोड़ने में हमें मदद मिलती है। अतः ताम्र भण्डारों की कालावधि को भी 2000 ई. पू. से 1500 ई. पू. का माना जा सकता है।
काले तथा लाल मृद्भाण्ड संस्कृति (BRW) की कालावधि 2400 ई. पू. ईसा की प्रारम्भिक शताब्दियों तक मानी जाती है। काले लाल मृद्भाण्ड (BRW) तथा लाल पर काले मृदभांड (Black on Red) को लेकर कोई भम नहीं होना चाहिए। लाल पर काले मृद्भाण्ड हड़प्पा की विशेषता है जिसमें पात्र का आंतरिक एवं बाह्य धरातल लाल रंग का एवं डिजाइन काले रंग से चित्रित होते हैं। कुछ क्षेत्रगत भिन्नता के साथ, BRW एक बृहद क्षेत्र में प्राप्त हुए हैं- ये क्षेत्र उत्तर में रोपड़ से लेकर दक्षिण में अदिचनल्लुर तक, तथा पश्चिम में आमरा व लखाभवल से लेकर पूर्व में पांडु - राजर - धिबि तक फैला है।
गैरिक मृद्भाण्ड संस्कृति की विशेषताएँ-
1. गैरिक मृद्भाण्ड (ओ. सी.पी.) संस्कृति भारत - गंगा के मैदान की दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व कांस्य युग संस्कृति (लगभग 2600 ईसा पूर्व से 1200 ईसा पूर्व) है, जो पूर्वी पंजाब से पूर्वोत्तर राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक फैली हुई थी। OCP जार, भंडारण जार, कटोरे और बेसिन के रूप में इस्तेमाल होता था।
2. यह ओसीपी संस्कृति परिपक्व हड़प्पा सभ्यता के उत्तरार्ध के लगभग समकालीन थी और हो सकता है कि प्रारंभिक वैदिक संस्कृति के साथ भी कुछ जुड़ाव हो। OCP स्थलों पर तांबे की आकृतियों और वस्तुओं के उत्पादन का प्रमाण मिलता है इसलिए इसे "कॉपर होर्ड कल्चर" के रूप में भी जाना जाता है।
3. यह एक ग्रामीण संस्कृति है और इसमें चावल, जौ और फलियां की खेती के प्रमाण मिलते हैं। इस संस्कृति के लोग भेड़, बकरी, सूअर, घोड़े और कुत्तों का पशुचारण करते थे तथा तांबे और टेराकोटा के गहनों का इस्तेमाल करते थे। यहाँ जानवरों की मूर्तियाँ भी मिली हैं।
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- प्रश्न- पुरातत्व क्या है? इसकी विषय-वस्तु का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व का मानविकी तथा अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के स्वरूप या प्रकृति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'पुरातत्व के अभाव में इतिहास अपंग है। इस कथन को समझाइए।
- प्रश्न- इतिहास का पुरातत्व शस्त्र के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पुरातत्व पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- भारत के पुरातत्व के ह्रास होने के क्या कारण हैं?
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- प्रश्न- क्षैतिज उत्खनन के लाभों एवं हानियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पुरापाषाण कालीन संस्कृति का विस्तृत वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- उत्तर पुरापाषाण कालीन संस्कृति के विकास का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- मध्यपाषाण काल की संस्कृति का महत्व पूर्ववर्ती संस्कृतियों से अधिक है? विस्तृत विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में नवपाषाण कालीन संस्कृति के विस्तार का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय पाषाणिक संस्कृति को कितने कालों में विभाजित किया गया है?
- प्रश्न- पुरापाषाण काल पर एक लघु लेख लिखिए।
- प्रश्न- पुरापाषाण कालीन मृद्भाण्डों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पूर्व पाषाण काल के विषय में एक लघु लेख लिखिये।
- प्रश्न- पुरापाषाण कालीन शवाशेष पद्धति पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मध्यपाषाण काल से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- मध्यपाषाण कालीन संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।।
- प्रश्न- मध्यपाषाणकालीन संस्कृति का विस्तार या प्रसार क्षेत्र स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विन्ध्य क्षेत्र के मध्यपाषाणिक उपकरणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गंगा घाटी की मध्यपाषाण कालीन संस्कृति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नवपाषाणिक संस्कृति पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- विन्ध्य क्षेत्र की नवपाषाण कालीन संस्कृति पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- दक्षिण भारत की नवपाषाण कालीन संस्कृति के विषय में बताइए।
- प्रश्न- मध्य गंगा घाटी की नवपाषाण कालीन संस्कृति पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति से आप क्या समझते हैं? भारत में इसके विस्तार का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जोर्वे-ताम्रपाषाणिक संस्कृति की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मालवा की ताम्रपाषाणिक संस्कृति का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- आहार संस्कृति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मालवा की ताम्रपाषाणिक संस्कृति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जोर्वे संस्कृति की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति के औजार क्या थे?
- प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता / हड़प्पा सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर- विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के पतन के कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लौह उत्पत्ति के सम्बन्ध में पुरैतिहासिक व ऐतिहासिक काल के विचारों से अवगत कराइये?
- प्रश्न- लोहे की उत्पत्ति (भारत में) के विषय में विभिन्न चर्चाओं से अवगत कराइये।
- प्रश्न- "ताम्र की अपेक्षा, लोहे की महत्ता उसकी कठोरता न होकर उसकी प्रचुरता में है" कथन को समझाइये।
- प्रश्न- महापाषाण संस्कृति के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- लौह युग की भारत में प्राचीनता से अवगत कराइये।
- प्रश्न- बलूचिस्तान में लौह की उत्पत्ति से सम्बन्धित मतों से अवगत कराइये?
- प्रश्न- भारत में लौह-प्रयोक्ता संस्कृति पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्राचीन मृद्भाण्ड परम्परा से आप क्या समझते हैं? गैरिक मृद्भाण्ड (OCP) संस्कृति का विस्तृत विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- चित्रित धूसर मृद्भाण्ड (PGW) के विषय में विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- उत्तरी काले चमकदार मृद्भाण्ड (NBPW) के विषय में संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- एन. बी. पी. मृद्भाण्ड संस्कृति का कालानुक्रम बताइए।
- प्रश्न- मालवा की मृद्भाण्ड परम्परा के विषय में बताइए।
- प्रश्न- पी. जी. डब्ल्यू. मृद्भाण्ड के विषय में एक लघु लेख लिखिये।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में प्रयुक्त लिपियों के प्रकार तथा नाम बताइए।
- प्रश्न- मौर्यकालीन ब्राह्मी लिपि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत की प्रमुख खरोष्ठी तथा ब्राह्मी लिपियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अक्षरों की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अशोक के अभिलेख की लिपि बताइए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास की संरचना में अभिलेखों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अभिलेख किसे कहते हैं? और प्रालेख से किस प्रकार भिन्न हैं?
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय अभिलेखों से सामाजिक जीवन पर क्या प्रकाश पड़ता है?
- प्रश्न- अशोक के स्तम्भ लेखों के विषय में बताइये।
- प्रश्न- अशोक के रूमेन्देई स्तम्भ लेख का सार बताइए।
- प्रश्न- अभिलेख के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति के विषय में बताइए।
- प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है उसके विषय में आप सूक्ष्म में बताइए।
- प्रश्न- मुद्रा बनाने की रीतियों का उल्लेख करते हुए उनकी वैज्ञानिकता को सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- भारत में मुद्रा की प्राचीनता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में मुद्रा निर्माण की साँचा विधि का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुद्रा निर्माण की ठप्पा विधि का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आहत मुद्राओं (पंचमार्क सिक्कों) की मुख्य विशेषताओं एवं तिथिक्रम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मौर्यकालीन सिक्कों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- आहत मुद्राओं (पंचमार्क सिक्के) से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- आहत सिक्कों के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- पंचमार्क सिक्कों का महत्व बताइए।
- प्रश्न- कुषाणकालीन सिक्कों के इतिहास का विस्तृत विवेचन कीजिए।
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- प्रश्न- कुषाण कालीन सिक्कों के उद्भव एवं प्राचीनता को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- गुप्तकालीन सिक्कों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गुप्तकालीन ताम्र सिक्कों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उत्तर गुप्तकालीन मुद्रा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- समुद्रगुप्त के स्वर्ण सिक्कों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- गुप्त सिक्कों की बनावट पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- गुप्तकालीन सिक्कों का ऐतिहासिक महत्व बताइए।
- प्रश्न- इतिहास के अध्ययन हेतु अभिलेख अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन में सिक्कों के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन सिक्कों से शासकों की धार्मिक अभिरुचियों का ज्ञान किस प्रकार प्राप्त होता है?
- प्रश्न- हड़प्पा की मुद्राओं के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन में अभिलेखों का क्या महत्व है?
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत के रूप में सिक्कों का महत्व बताइए।